हमारे बारे में
उत्तराखंड में शहरी विकास विभाग (UDD) स्थानीय स्व-सरकारों की देखरेख करता है, जबकि पेयजल निगम जैसी एजेंसियाँ जल एवं सीवरेज सेवाओं का प्रबंधन करती हैं। पहाड़ी भूभाग, खंडित संस्थागत जिम्मेदारियाँ, और उत्तर प्रदेश से विरासत में मिले कानूनों के बावजूद, विभाग का दृष्टिकोण समेकित शहरी विकास, सेवा वितरण में सुधार, और विरासत संरक्षण पर केंद्रित है। राज्य में कुल 107 शहरी स्थानीय निकाय (ULB) हैं, जिनमें 11 नगर निगम, 45 नगर पालिका परिषद और 51 नगर पंचायतें शामिल हैं।
शहरी क्षेत्र की स्थिति
उत्तराखंड में शहरी क्षेत्र अभी भी अपने मूल राज्य उत्तर प्रदेश से प्राप्त स्थानीय शासन कानूनों के तहत संचालित होता है। इस विरासत के चलते, विभागीय कार्यों के प्रभावी आवंटन के लिए कोई सुसंगत तंत्र नहीं होने से शहरी विकास क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन में कठिनाइयाँ आती हैं। वर्तमान में, इन विभागों के संबद्ध और पूरक कार्य सुव्यवस्थित रूप से संरेखित नहीं हैं, जिससे कुशल और प्रभावी संचालन प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
दृष्टिकोण
शहरी क्षेत्रों का समेकित विकास करना, शहरों को जीवंत, स्वच्छ एवं बुनियादी ढांचे की दृष्टि से सशक्त बनाना तथा सेवा वितरण में सुधार लाना।
उद्देश्य
- सभी नगरों और शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना, विशेष रूप से उनकी विरासत के संरक्षण पर ध्यान देना।
- शहरी बेरोजगारों या अल्प-रोजगार प्राप्त गरीबों को लाभकारी रोजगार प्रदान करना, जिससे वे स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर सकें या उन्हें वेतन आधारित रोजगार उपलब्ध हो।
शहरी स्थानीय निकाय (ULB) – एक दृष्टि में
उत्तराखंड राज्य में कुल 107 शहरी स्थानीय निकाय (ULB) हैं:
- नगर निगम (11)
- नगर पालिका परिषद (45)
- नगर पंचायत (51)